राजनीति / चिह्नित सीटों पर बात नहीं बनी तो आजसू ने भाजपा पर बनाया प्रेशर

रांची (बिनाेद ओझा). आजसू पार्टी ने पिछले चार साल से जिन विधानसभा क्षेत्राें में जमकर पसीना बहाया। उस सीट काे जीतने लायक बनाया और जब उन सीटाें पर चुनाव लड़ने की बारी आई ताे सहयाेगी दल भाजपा ने इस तरह की कई सीटाें काे आजसू पार्टी काे सीट शेयरिंग के तहत देने से मना कर दिया। इससे आजसू पार्टी भड़क गई और आजसू पार्टी ने भाजपा के तर्ज पर ही तरह झारखंड विधानसभा चुनाव 2019 के लिए पहली सूची जारी कर दी।


इस तरह भाजपा पर आजसू ने काफी दबाव बना दिया। साेमवार काे सूची काे जारी के पूर्व आजसू ने भाजपा काे विश्वास में नहीं लिया। हालांकि आजसू के इस कदम से कहीं न कहीं दाेनाें दलाें का नेतृत्व सकते में है। दाेनाें दलाें का अपना नफा-नुकसान समझ में अा रहा है। यही वजह है कि साेमवार काे उम्मीदवाराें की सूची जारी हाेने के बाद आजसू के सांसद चंद्र प्रकाश चाैधरी से भाजपा के नेताओं ने इस मुद्दे पर देर रात तक बात का मामले काे सुलझाने का प्रयास किया।



आजसू और भाजपा में दरार और गठबंधन में टूट की बात ताे बाजार में हाेने लगी लेकिन गठबंधन में टूट और दरार की बात अब तक न ताे आजसू ने की है और न ही भाजपा की ओर से इसपर काेई बयान आया है। ऐसे में यह भी कहा जाने लगा है कि दाेनाें दल कुछ सीटाें पर दाेस्ताना संघर्ष भी कर सकते हैं। आजसू के मुख्य केद्रीय प्रवक्ता डा. देवशरण भगत ने यह कहा कि जिन सीटाें पर उम्मीदवाराें की घाेषणा कर दी गई है वहां से अब नाम वापस लेने का सवाल ही नहीं उठता और पार्टी अपने कार्यकर्ताओं और नेताओं के सम्मान, स्वाभिमान काे झुकने नहीं देगी।


अंतिम रूप से आजसू ने भाजपा से मांगी है 17 सीट
रविवार काे देर शाम भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के बुलावे पर आजसू सुप्रीमाे सुदेश महताे दिल्ली गए थे। दिल्ली में उन्हाेंने भाजपा के राष्ट्रीय अमित शाह के साथ ही कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा और प्रदेश भाजपा विधानसभा चुनाव प्रभारी ओम माथुर के साथ डेढ़ घंटे तक बैठक की। इस बैठक में भाजपा की ओर से 12 सीट आजसू काे देने और सहमति बनाने का प्रयास किया गया। लेकिन आजसू ने अंतिम रूप से 17 सीटाें पर चुनाव लड़ने की बात कही।


इसके पीछे अपना तर्क भी दिया। बताया कि इन सभी सीटाें पर आजसू पार्टी काफी बेहतर स्थिति में है। वहां पर अरजसू का व्यापाक जनाधार और आधार है। आजसू पार्टी अपने प्रत्याशी काे लगातार चार साल तैयार करती है। ऐसे में अगर अाजसू अपने किसी उम्मीदवार काे ड्राप करती हैं ताे खतरा इस बात का है कि विपक्षी दल उन्हें तत्काल टिकट दे देगा। जाे आजसू के लिए ही नहीं बल्कि एनडीए के लिए भी नुकसान है। इसलिए अाजसू काे गठबंधन में कम से कम 17 सीटाें पर चुनाव लड़ने दिया जाए। इसके पहले आजसू 26 और फिर 19 सीटाें की बात कर रह थी।


भाजपा नेतृत्व काे तीन सीटाें का दिया उदाहरण
भाजपा नेतृत्व काे आजसू पार्टी की ओर से गत विधानसभा चुनाव 2014 के गठबंधन के बारे मे ंजानकारी दी। कहा कि उस समय भी आजसू काे गठबंधन में सिर्फ आठ सीट दिया गया। इसकी वजह से तीन सीटाें का ताे सीधा नुकसान हाे गया। इन तीन सीटाें पर आजसू के हार्डकाेर उम्मीदवार थे। इनमें चक्रधरपुर से शशिभूषण शामद, गाेमियां से याेगेंद्र महताे और हटिया से नवीन जायसवाल शामिल हैं। आजसू ने इन तीन सीटाें के भाजपा के साथ गठबंधन में जाने के बाद इन उम्मीदवाराें काे टिकट नहीं दिया।


तब शशिभूषण शामद और याेगेंद्र महताे झामुमाे में चले गए और नवीन जायसवाल झाविमाे में। तीनाें उम्मीदवार चुनाव जीत भी गए। इस तरह आजसू की यह पकी पकाई तीन सीट विपक्षी गठबंधन काे चली गई, जाे राजग के पास रहती। एेसी स्थिति इस बार भी है। ऐएेसे में दाेस्ताना संघर्ष हाेने पर इसी तरह कई सीटाें पर एनडीए काे नुकसान से बचाया जा सकता है। इधर, आजसू पार्टी और पांच विधानसभा सीटाें टुंडी, पाकुड़, तमाड़, ईचागढ़ और डुमरी से उम्मीदवार दे सकता है।